न मैं मीर हूँ , न मैं ग़ालिब हूँ
न मैं पन्त हूँ, न मैं निराला हूँ
न मैं लेखक हूँ, न मैं कवि हूँ
न मैं कोई कलमकार हूँ, न मैं कोई फनकार हूँ
बस एक आदमी हूँ जिसका ऊपर के लोगों से कोई रिश्ता है
जी हाँ, अगर आप साहित्य से जुड़े हैं. कविता, शेरों-शायरी में कुछ दिलचस्पी रखते हैं तो इन्टरनेट पर आपके लिए सर्वसुलभ साधन है 'कविताकोश'. शायद आपने ने भी कभी जाने-अनजाने में इस साईट को देखा ही होगा. आज से करीब 10 साल पहले 2006 में IT प्रोफेशनल ने यह सोचा की चलों इन्टरनेट पर कविता प्रेमियों के लिए एक ऐसी साईट बनायीं जाए जहाँ हर भारतीय भाषा में कविताओं का संकलन किया जा सके. बस यही से शुरुवात हो गयी कविताकोश प्रोजेक्ट की. आज कविताकोश में 93,804 पन्ने हैं. कविता, गीत,ग़ज़ल,नज़्म,भजन, जैसी तमाम विधाओं में काव्य का संकलन है. अवधी,मैथिलि,अंगिका,मराठीभोजपुरी, राजस्थानी आदि क्षेत्रीय कोष के साथ-साथ 31 भाषाओँ में लोकगीत का अद्भुत संकलन है. वीरगाथा काल के चंदरबरदाई से लेकर वर्तमान में कुमार विश्वास तक के कवियों की रचनाओं का नागरी लिपि में संकलन केवल कविताकोश पर ही उपलब्ध है. इस पूरी परिकल्पना का आधार कविताकोश के संस्थापक ललित कुमार जी है. उपरोक्त पंक्तियाँ उन्ही के लिए हैं. मजरूह सुल्तानपुरी ने कभी कहा था
कविताकोश भी कुछ इसी तरह आगे बढ़ता गया और आज कविताकोश के साथ-साथ गद्यकोश की शुरुवात हो चुकी हैं. जैसा मैंने कहा था की इस श्रृंखला में मैं उन लोगों से आपका परिचय करवाऊंगा जो कुछ नायब कर रहे हैं. तो इसकी शुरुवात मैंने ललित जी से कर दी है. ललित जी से मेरी पहली मुलाकात फेसबुक पर कविताकोश के सिलसिले में ही हुई थी. कविताकोश पर कवितायेँ और शायरी तो मैं बहुत सालों से पढता आ रहा था पर एक बार कानपूर में सेंट्रल एक्साइज के राजीव गुप्ता जी ने मुनव्वर राणा के किसी शेर का जिक्र किया तो मैंने उसके आगे का शेर सुना दिया. बाद में पता चला की वो शेर उस दिन उन्होंने कविताकोश के फेसबुक पेज पर पढ़ा था. फिर उन्होंने कविताकोश और ललित जी के बारे में बताया.
इसके अलावा वे दशमलव पर हिंदी ब्लॉगर के रूप में पिछले 6-7 वर्षों से काफी सक्रीय है और Tech Welkin नाम से तकनिकी से सम्बंधित अंग्रेजी ब्लॉग भी चलाते हैं.
मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गये और कारवाँ बनता गया!

प्रत्यक्ष रूप से मैं ललित जी से इस बार (2016) के अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेलें में मिल सका. उसके बाद से किसी न किसी सिलसिले में मिलना लगा रहता ही है.
इसके अलावा वे दशमलव पर हिंदी ब्लॉगर के रूप में पिछले 6-7 वर्षों से काफी सक्रीय है और Tech Welkin नाम से तकनिकी से सम्बंधित अंग्रेजी ब्लॉग भी चलाते हैं.
अपनी उम्र वाली पीढ़ी जो ज्यादातर समय इन्टरनेट पर गुजरती है वो जब साहिर और फैज़ को इतनी आसानी से पढ़ पाती है, नीरज के गीत गा पाती है तो कही न कही कविताकोश का योगदान स्पष्ट हो जाता है. अंगिका, मगही, संथाली जैसी भाषाएँ जिनके बारे में कई लोगों ने सुना ही न हो उनमे लिखे गये उत्कृष्ट साहित्य को कविताकोश पर लाने से साहित्य और कविता का संरक्षण एवं वैश्वीकरण संभव हो पाया है.
इसी श्रृंखला में मिलेंगे फिर किसी नायब व्यक्ति के साथ तब तक आप जुड़ सकते हैं ललित कुमार जी से और उनके कार्यों के बारे में जान सकते हैं.
Kavitakosh: www.kavitakosh.org
Gadykosh: www.gadyakosh.org
Tech Welkin: www.techwelkin.com
Dashmalav: www.dashamlav.com
.............................................................................................................................आयुष शुक्ला
एक अच्छी शुरुआत। बधाइयां ढेर सारी।
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