जिंदगी में एक बड़ा मुकाम हासिल होता है जब आप अपने हमदर्द या हमसफ़र को पा लेते हैं। कई बार तो ये मुकाम ही धोखा साबित होता है और आप राई के पहाड़ के ऊपर खड़े होते है अपने सपने को लिए हुए। लेकिन यदा कदा सपना सच हो जाए तो आप हिमालय की सुहानी वादियों में विचरण कर रहे होते है। जिंदगी आला से आला दर्ज़े के मुकाम को हासिल कर लेती है। सभी शोहरतें और बुलन्दियाॅ कदम चूमने लगती है फिर भी उसमे कुछ कमी सी रह जाती है वो कमी उस यार की होती है जिसकी बाँहो में आने पर सारा संसार नागवार लगता है। इसीलिए फ़िराक़ जैसा बड़ा शायर कहता है की ' जिंदगी में उसे कोई कभी अपना नहीं मिला ' ।
दोस्त ! जवानी का दौर भी बड़ा नाजुक होता है। जैसे मिलो मील तक पगडण्डी के दोनों तरफ कँटीली झाड़ियाँ ही हो जरा सी चूक होने पर वो घायल कर दे। राहत इंदौरी साहब कहते है
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं ।
जवानी का दौर इसलिए भी नाजुक होता है क्योकि इस समय दिल और दिमाग दोनों ही अति प्रभावी होते है। दिल और दिमाग दोनों ही प्रतिद्वन्दी बन जाते है। अगर दिल बोलेगा आम तो दिमाग जरूर कहेगा इमली।
जी हाँ ! दिल जब किसी पर प्रेम कविता लिख रहा होता है तब वही दिमाग कहता है ,
' मरेगा साले मरेगा , पढ़ ले ! कीट्स की कवितायेँ ,फैज़ की नज़्में और साहिर के तराने काम नहीं आएंगे। आइंस्टीन और प्लांक ही तेरा भला कर सकते है।'
फिर दिल रोमियो के अंदाज़ में जवाब देता है .
' चुप कर बुड़बक वो उसकी महोब्बत थी और ये मेरी महोब्बत है। इस दुनिया में जो भी चीज़े है वो इश्क़ की वज़ह से ही है। नदी को अगर अपने बहाव से प्रेम न होता , अपने यार समंदर से मिलने की तड़प न होती तो वो कब का एक स्थान पर सिकुड़ कर दफन हो जाती। अस्तित्व को बचाये रखने का खतरा उन लोगो को होता है जो अपनी पहचान पर जीतें है , उस प्रेमी को किस बात का खतरा जो अपने यार की निगाहों के समंदर डूब चुका हो। '
दुनिया में हर रोग की दवा है पर मरीज़-ए -इश्क़ के लिए आज तक कोई इलाज़ नहीं खोज पाया। इन्हे तो रेसनिक एंड हॉलीडे में भी करनोट इंजन की जगह उड़ते रेशम जैसे बाल , गुलाब की भीनी भीनी खुश्बू पता नहीं क्या क्या नज़र आता है आता हैं।
दिमाग और दिल की इस जददोजहद में आज इतना ही काफी है
।
जो गलती जान जाए वो ज्ञानी
जो गलती सुधार दे वो बुद्धिजीवी
और जो गलती को गलती ही न माने वो प्रेमी।
बाबा का ज्ञान
Ayush Shukla
दोस्त ! जवानी का दौर भी बड़ा नाजुक होता है। जैसे मिलो मील तक पगडण्डी के दोनों तरफ कँटीली झाड़ियाँ ही हो जरा सी चूक होने पर वो घायल कर दे। राहत इंदौरी साहब कहते है
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यों हैं ।
जवानी का दौर इसलिए भी नाजुक होता है क्योकि इस समय दिल और दिमाग दोनों ही अति प्रभावी होते है। दिल और दिमाग दोनों ही प्रतिद्वन्दी बन जाते है। अगर दिल बोलेगा आम तो दिमाग जरूर कहेगा इमली।
जी हाँ ! दिल जब किसी पर प्रेम कविता लिख रहा होता है तब वही दिमाग कहता है ,
' मरेगा साले मरेगा , पढ़ ले ! कीट्स की कवितायेँ ,फैज़ की नज़्में और साहिर के तराने काम नहीं आएंगे। आइंस्टीन और प्लांक ही तेरा भला कर सकते है।'
फिर दिल रोमियो के अंदाज़ में जवाब देता है .
' चुप कर बुड़बक वो उसकी महोब्बत थी और ये मेरी महोब्बत है। इस दुनिया में जो भी चीज़े है वो इश्क़ की वज़ह से ही है। नदी को अगर अपने बहाव से प्रेम न होता , अपने यार समंदर से मिलने की तड़प न होती तो वो कब का एक स्थान पर सिकुड़ कर दफन हो जाती। अस्तित्व को बचाये रखने का खतरा उन लोगो को होता है जो अपनी पहचान पर जीतें है , उस प्रेमी को किस बात का खतरा जो अपने यार की निगाहों के समंदर डूब चुका हो। '
दुनिया में हर रोग की दवा है पर मरीज़-ए -इश्क़ के लिए आज तक कोई इलाज़ नहीं खोज पाया। इन्हे तो रेसनिक एंड हॉलीडे में भी करनोट इंजन की जगह उड़ते रेशम जैसे बाल , गुलाब की भीनी भीनी खुश्बू पता नहीं क्या क्या नज़र आता है आता हैं।
दिमाग और दिल की इस जददोजहद में आज इतना ही काफी है
।
जो गलती जान जाए वो ज्ञानी
जो गलती सुधार दे वो बुद्धिजीवी
और जो गलती को गलती ही न माने वो प्रेमी।
बाबा का ज्ञान
Ayush Shukla
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें